अध्यात्म हमारे मन में स्थापित रहे तभी भक्ति हमारा कर्म बनेगी
रामकुमार सेवक      मन में जब भी किसी के प्रति विपरीत भाव आये तो हम प्रायः उसे निकम्मा घोषित कर देते हैं जबकि जब हम जल्दबाजी करते हैं तो किसी के भी प्रति अन्याय होने की आशंका ज्यादा होती है | इस स्थिति में जबकि हम खुद को अध्यात्मिक मानते हैं तो हमें ज्यादा जिम्मेदार और सकारात्मक होना चाहिए | गिलास…
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यह चमत्कार नहीं है लेकिन किसी को भी यह चमत्कार लग सकता है
-रामकुमार सेवक  फाजिल्का के महात्मा राजिंदर कटारिया जी को आज सुना |पहली बार सुना हो ऐसा तो नहीं है लेकिन उन्होंने जो कहा उस पर ध्यान देना चाहिए | उन्होंने कनाडा में रह रही एक बच्ची का जिक्र किया | उस बच्ची का नाम तो कुछ भी हो सकता है | जैसे कुछ वर्ष पहले अनेक व्यक्ति मुझसे मिलते थे जिनका नाम मुझे …
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इस युग के दृष्टा की लीलाएं
कुछ वर्ष पहले जब वार्षिक समागम दिल्ली में होता था ,बाबा हरदेव सिंह जी संतोख सरोवर के आस-पास के मैदानों में प्रेम की लीलाएं दिखाते थे |टी.वी.पर हम इन लीलाओं का सीधा प्रसारण देखते थे |उन दिनों की याद करते हुए मुझे अपनी यह टिप्पणी मुझे सहज ही याद आ रही है |कोई महात्मा मुझसे फोन पर पूछ रहे थे कि-निरंका…
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रहस्य - दर्द का अनोखा रस -
रामकुमार सेवक द्वैत और अद्वैत और ब्रह्मदर्शन के दो माध्यम हैं |द्वैत में परमात्मा के दो रूप होते हैं -निराकार और साकार |अद्वैत में एक ही रह जाता है | यह वैसे ही जैसे शरबत और सामान्य पानी अलग-अलग हैं लेकिन मूलतः दोनों एक अर्थात पानी ही हैं | पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जवाब है-जिसमें मिला दो लगे उस …
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अहंकारी के लिए क्षमा मांगनी आसान है क्या ?
रामकुमार सेवक            निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी अक्सर फरमाते थे कि गुरमुख -भक्त किसी विवाद को पत्थर की लकीर नहीं बनाते |वे तो पानी पर लकीर खींचते हैं इसलिए वे दीवारें नहीं खड़ी करते बल्कि दो दिलों के बीच पुल बनाते हैं |          मुक्ति अथवा मोक्ष की एक मात्र शर्त यही है कि मन में जरा भी अहं…
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