तलाक के विकल्प का इस्तेमाल करना बेहतर नहीं

 रामकुमार सेवक 

कुछ महीने पहले मेरी एक कताब बाजार में आयी है -जिसका शीर्षक है -आखिर तलाक़ हो ही क्यों ?इस दौर की यह एक बड़ी समस्या है |  

निरंकारी राजमाता जी गृहस्थी की बारीकियों को बहुत अच्छी तरह समझती थीं शायद इसीलिए बाबा हरदेव सिंह जी ने उनके श्रद्धांजलि समारोह के अंत में उनकी भक्ति को प्रणाम किया था |

उन्होंने राजमाता जी की हर विशेषता को उनके श्रद्धांजलि कार्यक्रम में याद किया था और हम सबको शामिल करके श्रुपूरित श्रद्धांजलि दी थी |

लेकिन आज मैं एक बड़ी समस्या के लिए उनके व्यवहारिक समाधान की चर्चा करना चाहता हूँ |  

उस दिन एक बहन अपने विचारों में उनका एक प्रसंग बता रही थी |

उन्होंने कहा कि निरंकारी राजमाता जी के पास एक बेटी आयी और कहने लगी कि मुझे अपने पति से तलाक लेना है |

यह भयानक समस्या थी क्यूंकि पहली शादी करना भी आसान नहीं होता ,कितने ही युवक-युवतियों को समझना और परखना होता है |इस काम में कितने ही व्यक्तियों से संपर्क साधना होता है |यह तो सिर्फ रिश्ते की प्रक्रिया होती है ,इसके अलावा विवाह के आयोजन में प्रायः जीवन भर की कमाई खर्च हो जाती है |

युवक-युवतियाँ तलाक की बात इतनी आसानी से कह देते हैं जैसे यह बहुत आसान बात हो |

निरंकारी राजमाता जी ने इस बात को पूरी गंभीरता से सुना और फिर उससे कहा -एक बात ध्यान रखो जो इंसान तुम्हें पति के रूप में प्राप्त हुआ है,उसकी अच्छाई बुराई से तुम भली -भाँति वाकिफ हो |

तुम्हें यदि तलाक मिल भी जाए तो क्या तुम्हारी फिर शादी नहीं होगी ?

तुम्हारे माता-पिता कोई दूसरा रिश्ता क्या नहीं खोजेंगे ?  

जरा सोचो ,क्या वह मिलन एकदम परपेक्ट होगा ?

लड़की को समस्या तो लगी लेकिन उसका ख्याल था कि तलाक हो जाएगा तो दोनों के रास्ते अलग हो जायेंगे |फिर दोनों ही कुंवारे हो जायेंगे |

लेकिन ऐसा होता तो नहीं है ,एक बार विवाह टूटता है तो दोनों व्यक्तियों के जीवन में कुछ न कुछ टूट ही जाता है |

निरंकारी राजमाता जी जीवन के ऐसे अनुभवों से अच्छी तरह वाकिफ थीं उन्होंने उस लड़की को कहा कि तलाक के बाद भी तुम्हारे माता -पिता तुम्हारी गृहस्थी बसाने की कोशिश करेंगे ही |किसी न किसी के साथ तुम्हें घर बसाना ही होगा ,उस नए आदमी के बारे में तुम्हें कुछ भी नहीं पता जबकि इस लड़के की अच्छायों और बुराइयों के बारे में तुम्हें अच्छी तरह मालूम है इसलिए negotiate करना बेहतर है |

compromise और negitiation ही आपसी मतभेद सुलझाने और गृहस्थी चलाने के बेहतर समाधान नज़र आते हैं |अब तुम सोच लो तलाक़ चाहिए या नहीं ?

लड़की कुछ देर रुकी ,माता जी से बात की और धन निरंकार करके वापस लौट गयी |

अनुभव किसी बाजार में नहीं बिकते इसलिए बचपन से ही हमने अनुभवों की अहमियत के बारे में भली भाँति सुना भी है और समझा भी है | 

तजुर्बे चाहे खुद के जीवन के हों या किसी अन्य के जीवन के ,उनकी क़द्र करनी चाहिए | धन निरंकार जी